CET के नियमों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज ; जानें पूरा मामला
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सीईटी परीक्षा नियमों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। याचिकाकर्ता प्रभजीत सिंह ने उम्र कम होने के कारण परीक्षा में बैठने से वंचित किए जाने का विरोध किया था। अदालत ने सरकार के इस तर्क को स्वीकार किया कि सीईटी सिर्फ पात्रता परीक्षा नहीं है बल्कि चयन का आधार भी है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार को एक बड़ी राहत देते हुए सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली संयुक्त पात्रता परीक्षा (सीईटी) के नियमों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
याचिका में सीईटी परीक्षा-2024 में निर्धारित न्यूनतम उम्र सीमा को चुनौती दी गई थी। यह याचिका कैथल निवासी एक नाबालिग अभ्यर्थी प्रभजीत सिंह की ओर से दाखिल की गई थी , जिसने यह दावा किया है कि उसे केवल उम्र की 33 दिन की कमी के कारण परीक्षा में बैठने से वंचित कर दिया गया है, जबकि वह अन्य सभी आवश्यक योग्यताएं पूरी करता है।
प्रभजीत सिंह की ओर से अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 2023 में दसवीं और वर्ष 2025 में बारहवीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की है, जिससे वह सीईटी परीक्षा के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता (10 जमा 2) पूरी करता है।
इसके बावजूद, हरियाणा सरकार द्वारा 31 दिसंबर 2024 को जारी सीईटी पालिसी और 26 मई 2025 की विज्ञप्ति के तहत यह शर्त रखी गई है कि जिस आवेदक की उम्र निर्धारित न्यूनतम सीमा (18 वर्ष) से कम है, वह आवेदन करने के लिए अयोग्य माना जाएगा।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि हरियाणा सिविल सेवा नियम 2016 (संशोधित 2023) के अनुसार किसी भी सरकारी सेवा में प्रवेश के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 18 वर्ष और अधिकतम 42 वर्ष रखी गई है।
लेकिन चूंकि सीईटी केवल एक पात्रता परीक्षा है और चयन की प्रक्रिया (मुख्य परीक्षा एवं नियुक्ति) जुलाई 2025 के बाद ही संभावित है, इसलिए याचिकाकर्ता को आवेदन की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि वह नियुक्ति से पहले 18 वर्ष का हो जाएगा।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि प्रभजीत की आयु आवेदन की अंतिम तिथि 12 जून 2025 को 17 वर्ष 10 महीने 20 दिन थी, यानी वह केवल 33 दिन कम है। ऐसे में उसे केवल उम्र की तकनीकी कमी के आधार पर परीक्षा में बैठने से रोकना न्यायोचित नहीं है।
सोमवार को इस मामले में सरकार का पक्ष रखते हुए हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव कौशिक ने कहा कि यह केवल पात्रता परीक्षा नहीं अपितु चयनित परीक्षा है इस परीक्षा के आधार पर ही रिक्त पदों के अनुसार उम्मीदवारों का चयन होगा।
सरकार की तरफ से कोर्ट के सामने कुछ कोर्ट के फैसलों की कापी भी पेश की गई। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार व HSSC को दी बड़ी राहत....
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